Friday 8 January 2016

कविता के रूप कविता की दास्तान


सदियों से मानवीय भावनाओं को संप्रेषित करने का जो सबसे सरल माध्यम है वो कविता रही है | कविता ही इस सृष्टि में एक ऐसा माध्यम है जो भावनाओं को अपने अंदर घर कर लेती है | कवि जो कविता का निर्माण करता है उसके बारे में कहा जाता है कि वो इस दुनियाँ का सबसे बड़ा संवेदनशील प्राणी है | इसीलिये वह रोज नित नियम से कविता को बढ़ई के अनुरूप गढ़ता चला जाता है | और कविता खुद भी कवि के अधीन इस तरहा से हो जाती है जैसे वह इकलौती इस दुनियाँ में कवि की दुनिया हो |

यह तो मुझे नहीं मालूम कि दुनिया की सबसे पहली कविता कब रची गई थी, लेकिन मैं इतना ज़रूर कह सकता हूँ कि पहली कविता इंसान के प्रेम के उपर ही रची गई होगी | फिर चाहे वो मा-पुत्र का प्रेम हो या भाई बहन का या फिर किसी युगल जोड़े का प्रेम हो | इतिहास गवाह रहा है कि इस सृष्टि में कोई भी व्यक्ति कविता के प्रभाव से बच नहीं पाया है | यूनानी रचनाकार तो अपने गद्य और कथन में भी कविताओं का प्रयोग किया करते थे | कविता ही वो पहली रचना है जिसके बाद बहुत सारी कलात्मक विधाओं का आविष्कार हुआ है | रंगमंच, उपन्यास, कहानी, लेख ये सभी विधाएँ कविता के कारण ही उत्पन्न हो पाई हैं |

हम अगर अब यहाँ कविता के विभिन्न रूपों की बात करें तो कविता कभी भी किसी बंधन में बँध नहीं पाई है | बहुत समय पहले से ही कविता ने अपने खूब सारे आयाम ढूँढ लिए थे | कविता छन्द से लेकर मुक्तछन्द तक खुद को प्रवाह में किसी नदी की माफ़िक़ बहाती है | कविता के रूपों की और अधिक चर्चा की जाए तो हम उस युग से सीधे इस युग में प्रवेश कर सकते हैं | जहाँ कविता को आज बहुत सारे मंच और माध्यम उपलब्ध हैं | आज कविता अपना घरखर्च आराम से चला लेती है |

जैसे की पहले अभावों में अपना वक़्त गुज़ारती थी कविता वैसा अब नहीं है | अब कविता एक व्यापार में भी बदलती जा रही है |बहुत सी कंपनियाँ ऑनलाइन पोर्टल के मध्यम से कविता को पाठकों के लिए उपलब्ध करवा रही हैं | इस कोशिश में कवि भी कमा रहे हैं और कविता को पोर्टल पे लाने वाली कंपनिया भी कमा रही हैं | इन पोर्टल्स में मुझे सबसे अच्छी बात ये लगी कि ये कविता को दिल खोलकर बढ़ावा दे रहें हैं | कविता आज के समय में अपने आपको बहुत से रूपों में पाठकों के सामने खुद को प्रस्तुत कर रही है | कभी वो हिन्दी ग़ज़ल तो कभी जापानी हाइकू तो कभी उर्दू की नज़्म बनकर हम सबके सामने अपने मोहक अंदाज़ में पहुँचती है | इसी कविता ने बहुत से कवियों को अपनी कोख से पैदा किया है |


और यही सब कवि कविता को अपनी  जन्मभूमि समझकर अपनी क़लम के पसीने से सिंचते हैं | फिर कविता चल पड़ती है पाठक रूपी उस मंज़िल की ओर जहाँ उसे पढ़कर या सुना कर पूर्ण किया जाता है | कविता की जद्दोजहद यही होती है कि वो कभी किसी एक विधा में बंधना नहीं चाहती | वो खुलकर खुद को अभिव्यक्ति की लहलहाती फसल बनाना चाहती है | ताकि उसकी कटाई जब हो तो मानों भावनाएँ खेत खलिहान से सीधे हमारे दिलों की ओर बढ़ रही हो | तो कविता के कई रूपों और कई अंदाज़ों का हमने यहाँ स्वाद लिया | कुछ वक़्त बाद कविता के नये अंदाज़ को एक बार फिर से आपके सामने प्रस्तुत करेंगे तब तक के लिए आप भी अपनी नोटबुक में कविता करिये |

-Ashish Jangra

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