Friday 16 October 2015

हिंदी युग का प्रारम्भ


हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा है और उसका भारत के साहित्य में एक महत्वपूर्ण योगदान एवं स्थान है। वैसे तो हिंदी के जन्म को लेकर भांति भांति के विचार हैं परन्तुं मूलतः इस जन्म संस्कृत से मन जाता है। इसके जन्म में प्राकृत और अपभ्रंश का भी योगदान है। अपभ्रंश में कई सारी बोलियाँ सम्मिलित हैं। जैसे बुंदेली, बहोली, भोजपुरी, अवधि, ब्रज, मगही, उर्दू व अन्य। साहित्य की शुरुवात में साहित्यिक कार्य इसी भाषा में किये।

हिंदी साहित्य को कई कालों में विभाजित किया गया है ।

आदिकाल की शुरुवात ग्यारवी शताब्दी से चौदहवीं  शताब्दी तक मानी जाती है।  आदिकाल में वीर रस  की प्रधानता थी। इस काल की कविताओं में बड़े-बड़े शूरवीर राजाओं की गाथाओं का अभिव्यक्त किया गया। जैसे पृथ्वीराजरासो जो की कवि चंद्रवरदाई द्वारा लिखी गई। 

पूर्व मध्यकाल या भक्तिकाल चौदहवी से अठारवीं शताब्दी तक माना जाता है। इस काल में हिंदी को एक नयी पहचान मिली। इस काल की रचनाएं भक्ति  से ओत प्रोत थी। इस काल की रचनाओं में सूरदास की सूरसागर प्रसिद्ध मानी जाती है। 

उत्तर मध्यकाल अठारह से बीसवी शताब्दी तक माना जाता है इस काल को रीती काल या श्रृंगार काल भी कहते हैं। इस काल में प्रेम से ओत -प्रोत रचनाओं का  संकलन किया गया। इस काल में  को नायक मानकर ज्यादातर रचनाओं का संकलन किया गया। 

आधुनिक काल की शुरुवात बीसवी सदी में हुई। इस काल में मुख्य सामाजिक मुद्दों की रचनाओं का संकलन किया गया। जैसे भ्रष्टाचार गरीबी असमानता आदि। कवियों और रचनाकारों ने इन मुद्दों का  अपनी कृतियों  में सृजन किया। 

हिंदी साहित्य में दो विधाओं के अन्तर्गत रचनायें लिखी जाती हैं जिनमे गद्य और पद्य सम्मिलित हैं। गद्य वह विधा है जिसके अन्तर्गत हम पात्र निबंध कहानी उपन्यास संस्मरण लेक आदि लिखते हैं। पद्य विधा में हम कविता काव्य गाने भजन आदि लिखते हैं। पद्य के रूप में हम निबंध नहीं लिख सकते हैं और गद्य के रूप में हम पद्य या कविता नहीं लिख सकते हैं। पद्य ले रूप में लिखा जा सकता है जिसको हम गायन रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं परन्तु गद्य को हम गायन के रूप मे प्रस्तुत नहीं कर सकते हैं। इसमें हम किसी विषय पे लिख सकते हैं उसे केवल पढ़ा जा सकता है। गाने के रूप में गाया नहीं जा सकता। गद्य में अलंकारों का प्रयोग नहीं होता है पर पद्य में अलंकारों और रस का प्रयोग होता है।  

 हिंदी साहिया में पद्य का अपना अलग ही मुकाम है।  पद्य को और भी खूबसूरत बनाने के लिए अलंकारों का प्रयोग किया जाता हैं। अलंकार पद्य का गहना है।  इसके बिना पद्य एक ऐसी  खूबसूरत नारी के समान है जिसने श्रृंगार नहीं किया है।

 शरीर की सुन्दरता को बढ़ाने के लिए जिस प्रकार मनुष्य ने भिन्न -भिन्न प्रकार के आभूषण का प्रयोग किया, उसी प्रकार उसने भाषा को सुंदर बनाने के लिए अलंकारों का सृजन किया। जिस प्रकार नारी के सौन्दर्य को बढ़ाने के लिए आभूषण होते हैं, उसी प्रकार भाषा के सौन्दर्य के उपकरणों को अलंकार कहते हैं । इसीलिए कहा गया है -' भूषण बिना न सोहई कविता ,बनिता मित्त।

- Rakhi
StoryMirror

Monday 12 October 2015

Young साहित्य – StoryMirror Square (SMS) रोमांच रचनाकारों का

     

होज़ख़ास विलेज़  में सोलह अगस्त के दिन कुंजूम café में इतनी ज़्यादा भीड़ मोजूद थी कि वहाँ हर कोई हैरान हुए बिना नहीं रह सका | इतना शौर था की कुंजूम  café  गिलास में रक्खी आइस क्यूब की माफिक़ खड़खड़ा रहा था | थोड़ी देर में लोगों को मामला समझ आ चुका था | वहाँ StoryMirror Square (SMS)  नाम से एक राइटर मीट अप चल रहा था | जिसमें लोग बड़े चाव के साथ शरीक़ हुए थे | वहाँ डीयू  के बहुत सारे ऐसे लड़के - लड़कियाँ भी थे जो लिखने और सुनाने के लिए बहुत ज़्यादा excited थे| मीट अप अपने तयशुदा वक़्त पर शुरू हुआ यानी दोपहर के बारह बजते ही शंखनाद हो चुका था | सबसे पहले StoryMirror की टीम ने सबका इस्तक़बाल किया और उसके बाद टीम के हर एक सदस्य ने अपना स्वतंत्र रूप से संक्षिप्त सा इंट्रो दिया | उसके बाद सभी उत्सुक राइटर्स  से उनके बारे में भी पूछा गया , उनकी दिलचस्पीयों के बारे में  भी जानकारी ली गई |

       हिन्दी और ठेठ भाषाओं के साथ स्टायर का इस्तेमाल बहुत आसानी के साथ करता है | मीट अप में देखने के लिए जो सबसे खास बात लगी वो ये थी की हर आयु वर्ग के राइटर्स वहाँ मोजूद थे | साथ ही "गिरीश शर्मा " जैसा उम्दा और आश्र्यचकित करने वाला गिटारिस्ट ,सिंगर और musician भी अपनी प्रस्तुति के लिए मीटअप में मोजूद था | सीनियर लोगो में किरण बाबल जी ,मुकेश निरूला जी भी अपनी कविताओं के साथ जो हम सबके लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं मोजूद थे | ईशान दफ़ूटी , तौसीफ़ अहमद , रेहान ख़ान, इंदरजीत घोषाल, नज़रे इमाम, सच्ची कक्कर , राखी शर्मा, प्राशू जैन, भारत शर्मा, सोम्या तिवारी, मीमांसा शेखर, अंकिता गोयल, रजत महयच, हरेन्दर शर्मा जैसे दिल्ली  शहर के युवा लेखक भी इस जलसे में एक नये उत्साह के साथ शरीक हुए | डीयू  से जो विद्यार्थी राइटर्स आए थे , उन्होने तो अंदर तक झकझोर दिया अपनी लिखी हुई रचनाओं को सुनाकर | किसी ने Poem सुनाई किसी ने शॉर्ट स्टोरी तो किसी ने लेख भी सुना दिया | तभी तो हम कह सकते हैं की इस मीट अप में किसी भी तरह की कोई सीमाएँ नहीं थी | मीट अप के मध्य में गिरीश और भारत ने ऐसा माहौल बनाया की कुछ मिनटों तक सिर्फ़ तालियाँ ही सुनाई देती रही |
StoryMirrorइस मीट अप का संचालन आशीष  और आसिफ़  ने किया | जहाँ आसिफ़ विशुद्ध अँग्रेज़ी मे लिखता है तो वहीं आशीष

       वास्तव में young साहित्य ने पूरी तरह से literature का नक्शा बदल के रख दिया है | इतनी कम उम्र के बावजूद आप एक अनुभवी रचना को सबके सामने पेश करते हो ये अपने आप में एक बहुत बड़ी बात होती है | sms मीट अप के दौरान सभी राइटर्स को कुंजूम café  की फ्री coffee  स्कीम का भी बहुत बड़ा फायडा मिला | पूरे मीट अप के दौरान हर किसी के दिल में ये बात ज़रूर आई होगी की साहित्य सच में ही अब उम्र की बंदिशो में नहीं रहा | ऐसे युवा जन्म ले चुके हैं जो गहरे साहित्य के साथ उसमें रचने बसने का माद्दा रखते हैं | और इसी मुहिम को आगे ले जाने के लिए स्टोरी मिरर  sms को अस्तित्व में लाया है | आप ये मानिए की StoryMirror ने एक नई क्रांति का आगाज़ किया है जिससे young साहित्य को सच में ही एक बहुत बड़ा मंच मिला है | जिसपर young साहित्य अपना नाट्य खुद लिखेगा और खुद ही प्रस्तुत करेगा | StoryMirror  ने हरेक पहलू  पर सबसे खुलकर बात की गई , लोगों के विचार भी सुने गये StoryMirror को लेकर | इसके बाद सबने खुशी खुशी वहाँ से विदा ली StoryMirror के गुडिज़ के साथ , साथ ही ग्रूप फोटो भी खिचवाई गई | एक अनूठे और नये उत्साह के साथ वहाँ  से सबने विदा ली | sms का ये पहला राइटर्स मीट अप समाप्त हो चुका था लेकिन कुंजूम  cafe में काम करने वाले जगदीश और बाकी लोग अब भी अचम्भित थे पहली बार ऐसा young साहित्य का महाकुंभ देखकर |

- Ashish Jangra
  StoryMirror

Wednesday 7 October 2015

YOUNG साहित्य – Writer Groups & Poet Meet ups



हिन्दुस्तान की युवा साहित्य पीढ़ी अब कवि सम्मेलन  नहीं जाती और ना ही कवि गोष्ठियों में , क्योंकि उसने खुद एक ऐसा चलन  चला दिया है जो उसकी सुविधनुसार है |  इस  YOUNG जनरेशन ने  Poet Meets , Writer groups और  Writing Workshop  नाम की कुछ ऐसी चीज़ों का आविष्कार कर दिया, जिसकी बदोलत इन्होने खुद के Literature  का उत्पादन किया है | कुछ  Poetry groups ,  Pach , Poets collective  , Poets corner , Delhi Poetry  , Poets Artist unplugged  इस युवा पीढ़ी का जी भरके साथ दे रहे हैं  | इन लोगों को वो मंच हासिल करवाते हैं जिसका हक़ इनकी बहुमुखी प्रतिभा रखती है | सभी प्रमुख समूह महीने में कम से कम 2 इवेंट रखते हैं और उसमें लोगों को फ़ेसबुक और वाट्सप के ज़रिए अपनी रचना प्रस्तुत करने के लिए इन्वाइट करते हैं |

इसके बाद तो इन मीट अप्स  में इन युवाओं की झड़ी सी लग जाती है | सभी इतने जोश ख़रोश के साथ तशरीफ़ लाते हैं की सारा माहौल ही इनकी गुफ्तगू से गूँज उठता है | मैं पिछले 2 सालों से Pach नाम के 1 राइटर्स ग्रुप के मीट अप में बिना किसी रुकावट के लगातार जा रहा हूँ | इस ग्रुप का पूरा नाम Poetry end cheep homour  है | इस ग्रुप की ये ख़ासियत है की आप यहाँ बिना किसी सीमाओं के अपनी भावनाओं को पच कर सकते हैं , ऐसा इस ग्रुप के founder  का कहना है | यहाँ  आपको ऐसा अहसास होगा की आप अपने घर में घर के सदस्यों के बीच Poetry कर रहे हो , इस ग्रुप में आपको इतनी तवज़्ज़ो मिलती है की आप खुद को फूला नहीं समाते हैं |

मज़ाक के माहौल में आप इतना घुलमिल जाते हैं की आप चाहेंगे की ये मीट अप ख़त्म ही ना हो , बस चलती रहे देर तक |

पच ग्रुप के फेसबूक पेज़  पे भी इतनी चहल -पहल होती है की हर युवा अपने साहित्य को लगातार अपने साथियों के साथ साझा करते रहते हैं | अनूप बिश्नोई , सीधांत माग़ो , विवेक कुमार पच को गाइड करते हैं और हरेन्दर शर्मा  उर्फ हैरी , आशीष जांगरा , नरेन्दर कुमार, इशान ड़फूटी, दीपाली शर्मा, मेघा गरचा  पच के रेग्युलर मेंबर हैं जो अपनी कविताओं और कहानियों से पच को गुलज़ार करते हैं | अभी कुछ दिन पहले ही पच ने अपना दूसरा जन्मदिन मनाया है श्री अशोक चक्रधर जी की उपस्थिति में जिन्हें पूरा हिन्दुस्तान 1 हास्य  और व्यंग कवि के रूप में जानता है | उन्होनों पच के जन्मदिवस पर सभी सदस्यों को भावों के बारे में विस्तार से बताया और कविता के कई रूपों का भी ज़िक्र अलग से किया |

तो इस तरहा से हम कह सकते हैं की पच अपने मकसद में कामयाब होता दिखाई दे रहा है | इस ग्रुप में 1  अलग सा उत्साह नज़र आता है | इसके अलावा 1 ग्रुप और है जो सिर्फ़ Poetry  को अपने तरीके से सबके सामने ला रहा है | इस ग्रुप का नाम Poets corner  है और ये इस ग्रुप पे देश भर के Poets  का जमावड़ा है | फेसबूक  पे करीब 22 हज़ार  Poets  की संख्या Poets corner के ग्रुप में है | ये सभी 22 हज़ार मेंबर रोज ग्रुप में अपनी Poem  डालते हैं और 1 दूसरे की Poem भी पसन्द करते हैं | Poets corner हर साल सर्दियों में Delhi Poetry Festival का भी आयोजन करता है | इस पूरे Fest  में देशभर की हस्तियों के साथ Poets corner  के members साहित्य का अलख जलाते हैं |

हमारा Young  साहित्य इन writer groups  की बाबत भी अपने आपको लिखते हुए निखार रहा है या मांज रहा है | किसी ने सही भी कहा है की हर क्रांति में युवाओं की सबसे बड़ी भूमिका होती है और ये जो साहित्य की यानी नये और मौलिक साहित्य की क्रांति है इसमें यूथ ही अपने तरीके से बदलाव ला सकता है और सही मायनों में देखा जाए तो बदलाव आ भी रहा है | आज इस युवा पीढ़ी में इतना साहस आ चुका है की ये अपने का लिखा सबको परोसते हैं और खुद भी सबका लिखा हुआ चखते हैं |


इसीलिए इस Young साहित्य में जो उछाल आ रहा है वो इसी बदलाव और सोच का नतीजा है |

- Ashish Jangra