Saturday 26 September 2015

YOUNG साहित्य - निडर , बेबाक और अंतहीन


आज की तारीख़ में अगर साहित्य को इंग्लिश वाला YOUNG कहा जाए तो कोई बुरी बात नहीं होगी |
जी हाँ ! अब आज का साहित्य वो परिपक्व साहित्य नहीं रहा जो आज से तीस - चालीस साल पहले था |
मुक्तिबोध की परम्परा अब  नहीं रही  , अब  साहित्य  फास्ट फूड टाइप का हो गया है  जो सुनते ही या पढते ही दिमाग़ में घर कर लेता है , लेकिन कुछ समय बाद ही घर निकाला भी हो जाता है |

तो आइये बात शुरू करते हैं यंग साहित्य की जो आजकल हऱ युवा की आदत बन चुका है |और आदत भी ऐसी जो धीरे धीरे सार्थक रूप लेती जा रही है | आज ऑनलाइन क्रेज़ इतना बढ़ चुका है की युवा जगत इसे हाथोहाथ भूना रहा है

फ़ेसबुक  पे हर दूसरा लड़का या लड़की जिसकी उम्र यही सोलह से बीस के बीच की होती है ,अपने आपको लेखक कहलाना  चाहता है  | आप कभी भी फ़ेसबुक पे जाइए आपको इनका लिखा हुआ सब मिलेगाआप चाहे मेट्रो  में देखलो या फिर बस स्टॉप  पे नज़रें घुमा लो आपको कोई ना कोई यंग यूथ हाथ में किताब लेकर उसमें आँखें सेकता हुआ मिल जाएगा |

चाहे फिर हाथ में .एळ जेम्स का फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे  का एक अजूबा हो या फिर इंडियन तोल्स्तोय 'चेतन भगत ' का कोई हल्का फूलका उपन्यास हो .., सारे मसाले को यूथ ऐसे एंजॉय करता है जैसे बर्गर खा रहा हो | इन्हें ना तो हिन्दी पढ़ने से गुरेज़ है और ना ही अँग्रेज़ी तो वहीं उर्दू को अपने स्टेट्स में दाखिल करते युवाओं की संख्या बढ़ती जा रही है बाजरे के खेत में खरपतवार के जमावड़े के जैसे  ,  इन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता की ये सही लिख रहे हैं या ग़लत , इन्हें तो सिर्फ़ इस बात से फ़र्क पड़ता है की हमारी भावनाएँ जाहिर हो रही हैं या नहीं | सही भी है ये बात की आप अपनी भावनाओं को सही रूप दे पा रहे हैं या नहीं ,और आज का युवा तो पागल है अपनी भावनाओं को सबके सामने जाहिर करने के लिए , इसके लिए उसे कविता का सहारा लेना पड़े या कहानी का,  इस YOUNG साहित्य को शहर भर में चलने वाले POETS MEETS  का भी खूब साथ मिलता है | यहाँ सब टी पार्टी करते हुए अपनी रचनाएँ एक दूसरे को सुनाते हैं और सराहते भी हैं | इन्हें आलोचना, समीक्षा जैसे शब्दों का ज्ञान ही नहीं होता , ये सिर्फ़ अपनी मस्ती में अपने साहित्य को रचते हैं | ,एक दूसरे की भावनाओं को समझते हुए एक अनूठे साहित्य का निर्माण करते हैं |आप ये मानलो की ये यंग साहित्य अब किसी भी गुटबाज़ी में नहीं फसने वाला , इसे कोई नहीं रोक सकता अपने शब्द बाहर निकालने के लिए , ना कोई साहित्य का आलोचक ना कोई साहित्य को अपना सबकुछ समझने वाला और ना ही वे संस्थाएँ जो साहित्य को समर्पित होने का दावा करती हैं |

इस युवा पीढ़ी को सोशल मीडिया  का ऐसा मंच मिला हुआ है जिसपर बेबाक ,बेफिकर होकर अपने आपको सामने लाता है |

इसके हर ट्विट  और स्टेट्स  में ज्वालामुखी फुटता है बिना किसी की इजाज़त के , ब्लॉग  पर भी जो क्रांति इन लोगों ने चला रखी है उससे हर बड़ा प्रकाशित साहित्यकार डरा हुआ है , क्योंकि इस पीढ़ी को आप प्रकाशित करने का लालच नहीं दे सकते , उसके पास पहले से ही इतने साधन हैं की वो जहाँ पहुँचना चाहता है वहाँ बिना किसी रुकावट के आसानी से पहुँच रहा है | तो मित्रो , बात इतनी सी है की आप इन YOUNG राइटर्स को   बरगला नहीं सकते , फुसला नहीं सकते, बहला नहीं सकते | ये तो बस अपने बहाव में बहते हैं, अपने विचारों को अपने तक सीमित नहीं रखते ,उन्हें अपने मोबाइल में टाइप करते  हैं, और झट से सोशल मीडिया पर पोस्ट कर देते  हैं | शुरू होता है फिर एक दूसरे का लिखा हुआ साझा करने का उपक्रम , और इसी उपक्रम को आगे बढ़ाते हुए ये युवा लेखक /कवि / ब्लॉगर अपने पाठकों को अपनी ओर खिचते हैं |


तो की साहित्य कोई उमर नहीं  होती  , और ये YONG साहित्य  तो   बहुत ही चपल और तेज़ है | ये अपने आपको बुढाने नहीं देगा , खुद को जवान रखने का इसका सिलसिला हमेशा बना रहेगा |

- Ashish Jangra 
  StoryMirror